ख़्वाब से हैवानियत तक का सफ़र
कभी इन आंखों में भी ख़्वाब हुआ करते थे
आज जिसे कफ़न से ढक दिए गए है
कभी इन होठों से कृतज्ञता बयां करने को
बहुत कुछ सुनने के बाद भी सिले रहे
ताकि एक दिन अपने माता पिता का गुणगान कर सकें
आज वो होठ सदा के लिए ख़ामोश...
आज जिसे कफ़न से ढक दिए गए है
कभी इन होठों से कृतज्ञता बयां करने को
बहुत कुछ सुनने के बाद भी सिले रहे
ताकि एक दिन अपने माता पिता का गुणगान कर सकें
आज वो होठ सदा के लिए ख़ामोश...