ग़लतफ़हमी ✍🏻✍🏻✍🏻
ग़लतफ़हमी ✍🏻✍🏻✍🏻
कीमत चुकाई अपनी खुशियों की मुस्कराहट को अलविदा कह आगे बढ़ चले !
जिन पगडंडियों पर गिरे उठे पले बढे उन रास्तों से पतझड़ सा ढले !
ज्यादा सोचना न तो सुकून देता हैं न ज्यादा सोचना अब जरुरी लगता हैं !
खामोशियाँ कुछ इस कदर पैठ चुकी हैं की मुस्कुराना जी हुजूरी लगता है
मन में झाँक कर देख न पाने की इंसानी नाकाबिलियत ने झकझोर कर रख...
कीमत चुकाई अपनी खुशियों की मुस्कराहट को अलविदा कह आगे बढ़ चले !
जिन पगडंडियों पर गिरे उठे पले बढे उन रास्तों से पतझड़ सा ढले !
ज्यादा सोचना न तो सुकून देता हैं न ज्यादा सोचना अब जरुरी लगता हैं !
खामोशियाँ कुछ इस कदर पैठ चुकी हैं की मुस्कुराना जी हुजूरी लगता है
मन में झाँक कर देख न पाने की इंसानी नाकाबिलियत ने झकझोर कर रख...