लौट आओ एक बार....
सुनो ना.......
लौट आओ एक बार
बस इक बार
सुरमई शाम की तरह
काया को सिंदूरी सजाना है मुझे
बस इक बार.....
लौट आओ एक बार
बैठ वीराने में
हाथों में हाथ डाल
लकीरों को मिलाना है मुझे
बस इक बार......
लौट आओ एक बार
लो इज़ाजत खुदा से
लौट आओ कुछ पलों के लिए
तेरे अंक में समाना है मुझे
© ऋत्विजा
लौट आओ एक बार
बस इक बार
सुरमई शाम की तरह
काया को सिंदूरी सजाना है मुझे
बस इक बार.....
लौट आओ एक बार
बैठ वीराने में
हाथों में हाथ डाल
लकीरों को मिलाना है मुझे
बस इक बार......
लौट आओ एक बार
लो इज़ाजत खुदा से
लौट आओ कुछ पलों के लिए
तेरे अंक में समाना है मुझे
© ऋत्विजा
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