...

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प्यार का सिला
ना गम था, ना कोई शिकायत थी
हम खुश थे , भरी महफ़िल भी
हमारी दीवानी थी

लोगो के बिच एक अलग सी पहचना थी
कोई महफ़िल की जान, तो कोई दीवानी
सी अनजान लड़की थी
जो प्यार से कोसो दूर
अपने दोस्तों मे बहुत मशहूर थी

लेकिन ना जाने ऐसा क्या हुवा
एक इश्क़ का झोका, उसे बहका गया
वो थी मस्तमौली , नटखट सी जिसकी बोली

ना जाने किस भ्र्म मे वो फ़स गयी
मोह का बंधन किसी से बांध के
वो अकेली रह गयी

ना उन आँखों मे अब सपने है
ना मुस्कुराहते
बस उदासी भारी निगाहो मे है हज़ार
ख्वाइसे
खुद से अनजान है, बेवजह सी पहचान है



priyanka sahu