कविता ख़्याल
ख्याल चुभते थे
फिर भी पीछा नहीं छोड़ते थे
ये ख्याल भी कितने बेशर्म होते थे
कभी परेशान करते थे
तो कभी हँसी ख़्याल बन जाते थे
सोते समय सपने बनकर साथ रहते थे
एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते थे
कभी घर बैठे दुनिया की सैर कराते थे
किसी की याद दिलाकर क्रोध दिलाते थे
तो किसी की याद दिलाकर प्यार बरस वाते थे
पीछे छूटा हुआ वक़्त यही तो सामने लाते थे
कही हुई बातों को बार बार याद दिलाकर हमें उकसाते थे
कभी ख्याल अच्छे भी आते थे
तो कभी ख़्याल बुरे भी आती थे
पर ख्याल आए बिना नहीं रहते थे
हम ज़िंदा हैं ये ख्याल ही तो बताते थे