रूठ गई है
हैं जिनके पास मां के ममत्व की कोमल छाया
इस भयामः वन रूपी दुनियां में
वे किसी सिंह की भांति ही फिरते हैं
होता प्रतीत कुछ एसा मानो
है जाने कितनी असीम शक्ति उस आंचल तले
की सब विपदाये स्वयं ही घुटने टिकते है
पर ना पूछो व्यथा उन अभागों की
सब मिला जिन्हे
पर इक वो आंचल ही न नसीब हुआ
दुनियां में सबसे ज्यादा बस एक वो ही...
इस भयामः वन रूपी दुनियां में
वे किसी सिंह की भांति ही फिरते हैं
होता प्रतीत कुछ एसा मानो
है जाने कितनी असीम शक्ति उस आंचल तले
की सब विपदाये स्वयं ही घुटने टिकते है
पर ना पूछो व्यथा उन अभागों की
सब मिला जिन्हे
पर इक वो आंचल ही न नसीब हुआ
दुनियां में सबसे ज्यादा बस एक वो ही...