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शीर्षक- ज़िंदगी कितने रूप रंग तेरे

© शीर्षक- ज़िंदगी कितने रूप- रंग तेरे ।
जिंदगी कितने सारे रंग-रूप तेरे
तुझमें समाए कितने शाम सबेरे। बचपन, लड़कपन, जवानी बुढ़ापा एक आता तो दूजा जाता, कितने चरण हैं तेरे।

नश्वर शरीर में जान फूंकती,...