...

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मोहलत
खुद से कोई हमदर्दी बची ही नहीं
खुद ही खुद का दिल तोड़ देता हूँ
रोज़ाना खुद को एक और दिन की
मोहलत देकर छोड़ देता हूँ
खुद की गलतियाँ ढूंढने को
अक़्स निहार लेता हूँ खुद का
रूठ जाता हूँ आईने से भी
और उस से भी मुंह मोड़ लेता हूँ
रोज़ाना खुद को एक और दिन की
मोहलत देकर छोड़ देता हूँ

कि

कि एक और दिन रुक जा मेरे दोस्त
क्या पता उनके मुंह पर तेरी बात आ जाए
थोड़ी और तपिश सहन कर के देख ले
क्या पता कल ही बरसात आ जाए
© Inkster
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