इन्सान और धर्म
जंग का आगाज एक जलती मशाल है।
बेहतर को मौत देना कैसा कमाल है?।
धर्म का झगड़ा कभी मिटता नहीं यारों।
आस्था से खेलना गधों की इक चाल है।
अच्छा है जानवरों का कोई धर्म नहीं है।
ये तो बस इंसानों में एक माया जाल है।
© abdul qadir
बेहतर को मौत देना कैसा कमाल है?।
धर्म का झगड़ा कभी मिटता नहीं यारों।
आस्था से खेलना गधों की इक चाल है।
अच्छा है जानवरों का कोई धर्म नहीं है।
ये तो बस इंसानों में एक माया जाल है।
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