एक छांव
अवसाद भरी ये जिंदगी
बिल्कुल उसी गरमी
के जैसी हो गई है
जो बारिश के बाद
उमस से भर देती है
ना चैन आता दिन में
ना ही रात की नीदों में
बादलों की तरह बस
इधर उधर भटकते
अपने पल यूं ही काटा करते
कभी पेड़ की छांव में
तो कभी घर की चारदीवारी में।
© anu singh
बिल्कुल उसी गरमी
के जैसी हो गई है
जो बारिश के बाद
उमस से भर देती है
ना चैन आता दिन में
ना ही रात की नीदों में
बादलों की तरह बस
इधर उधर भटकते
अपने पल यूं ही काटा करते
कभी पेड़ की छांव में
तो कभी घर की चारदीवारी में।
© anu singh