...

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सुकूँ!
बयाँ से परे
एक तेरा सुकूँ
दुःख दर्द से परे
एक तेरा सुकूँ
क्या दिन औऱ क्या रात
है बस तुझे सोचने का जुनूँ
तमाम तकलीफों में एक तेरा जिक्र
दिल में सुकूँ, चेहरे पर सुकूँ
उलझन बहुत है इस दुनियाँ की
एक तुझसे बात
सब कुछ सुकूँ, हा सबकुछ सुकूँ।