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राधा कृष्ण का प्रेम 🤔🤔🤔🤔☺️☺️
बड़ी संकुचित है सांसारिक प्रेम,
की परिभाषा,
जिसमे दो इंसान साथ में रहें,
दोनों अच्छे लगे,
एक दूसरे की जरूरतें पूरी करें,
चाहे वो शारीरिक हो या भावनात्मक,
और यदि एक भी पक्ष ,
ना कर पाए इन जरूरतों को पूरा,
तो मान लिया जाता है प्रेम अधूरा,
पर क्या इस संकीर्ण विचारधारा से
माप सकते हैं राधा और कृष्ण का प्रेम
सुना है मैंने बोलते हैं लोग कई दफा,
राधा कृष्ण सा प्रेम है,
पर राधा होना सहज नहीं,
विरह में मिलन,
रिक्तता में पूर्णता को जीना सहज नहीं,
केशव की तरह ,
वियोग में योगेश्वर होना सहज नहीं,
जिन्हें कहते हैं सांसारिक सुख ,
उनमें से कुछ नहीं है राधा कृष्ण के प्रेम में,
बिलकुल निर्मल है ,गंगा की धारा की तरह,
जहाँ मिलन की आस नहीं,
किसी को देखने की प्यास नहीं,
आलिंगन की चाह नहीं,
जो भी इस नाशवान शरीर को चाहिए,
वो कुछ नहीं राधा कृष्ण के प्रेम में,
तभी तो इस नाशवान संसार में,
अविनाशी है राधा और कृष्ण का प्रेम,
क्योंकि वो तो सांसारिकता से परे,
अनंत की गहराइयों में छुपा,
इस असार संसार का सार है ☺️☺️
(राधे राधे)❣️❤️
© सौ₹भmathu₹
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