उम्मीद
ये कैसी रौशनी पङ रही आंखों पर,
ये कौन मेरे हुजरे को रौशन कर रहा है।
सूखे दरिया में अचानक लहरें उठ रही कैसी,
ये कौन मेरी आंखों से पानी भर रहा है।।
अब तक तो हमने सीख लिया था अंधेरों में चलना,
ये कौन चुपके से मेरे साथ सफर कर रहा है।
हमने तो मकां बना लिया था दूर...
ये कौन मेरे हुजरे को रौशन कर रहा है।
सूखे दरिया में अचानक लहरें उठ रही कैसी,
ये कौन मेरी आंखों से पानी भर रहा है।।
अब तक तो हमने सीख लिया था अंधेरों में चलना,
ये कौन चुपके से मेरे साथ सफर कर रहा है।
हमने तो मकां बना लिया था दूर...