...

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उम्मीद
ये कैसी रौशनी पङ रही आंखों पर,
ये कौन मेरे हुजरे को रौशन कर रहा है।
सूखे दरिया में अचानक लहरें उठ रही कैसी,
ये कौन मेरी आंखों से पानी भर रहा है।।
अब तक तो हमने सीख लिया था अंधेरों में चलना,
ये कौन चुपके से मेरे साथ सफर कर रहा है।
हमने तो मकां बना लिया था दूर विरानियों में कहीं,
ये कौन गुलशन को फिर से हरा कर रहा है।।
यूँ तो शिकस्त मिली है हर बार हमें दौर ए मुहब्बत में,
ये कौन अपनी जीत हमारे नाम कर रहा है।
कि अब वफ़ा के सिवा कुछ भी नहीं है देने को ऐ साकी,
ये कौन है जो मेरे हां में हां भर रहा है।।
क्यूँ आज हिचकियाँ आ रही इतनी,
कौन मेरे बारे में इतना पता कर रहा है।
गर पता चला कभी तो बताउंगा ऐ महफिल,
ख्वाब सच हो रहें हैं या कोई मजाक कर रहा है।।
#dying4her
©AK47
© AK47