मेरा भारत...
वीरों ने लिया जन्म जहां ,
टिकी अकड़ ना अंग्रेजों की,
खून की नदियां बही वहां,
जो कर कोशिश क्षती करने की,
चाह कर भी वह छीन सके ना,
हमसे जो था हमारा प्यारा
देख वतन की शान बढ़ाता,
है लहराता तिरंगाहमारा,
जहां विलीन देश की रक्षा में,
होता हर एक नर नारी हो
जहां अतिथि भी पूजे गए और ,
शत्रु भी सम्मानित हो
तैनात सीमा पर ही नहीं ,
पर हर घर मैं एक युवक हो,
आई जो आच देश पर,
बली देने को तत्पर हो,
जहां तुलसी ,कबीर रची काव्य स्वयं,
जीवन की परिभाषा...
टिकी अकड़ ना अंग्रेजों की,
खून की नदियां बही वहां,
जो कर कोशिश क्षती करने की,
चाह कर भी वह छीन सके ना,
हमसे जो था हमारा प्यारा
देख वतन की शान बढ़ाता,
है लहराता तिरंगाहमारा,
जहां विलीन देश की रक्षा में,
होता हर एक नर नारी हो
जहां अतिथि भी पूजे गए और ,
शत्रु भी सम्मानित हो
तैनात सीमा पर ही नहीं ,
पर हर घर मैं एक युवक हो,
आई जो आच देश पर,
बली देने को तत्पर हो,
जहां तुलसी ,कबीर रची काव्य स्वयं,
जीवन की परिभाषा...