...

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नव वर्ष...रात्रि...
दिसंबर की आखरी रात्रि
रास्ते भीड़ भाड़ से
पूर्ण भी अपूर्ण भी,
जीवन की एक और परिधि
की ओर बढ़ते हुए,
ताजुल मस्जिद की पीछे की असंख्य सीढ़ियों
पे बैठे हुए युवा,
कुछ बात करते,
कुछ अकेले,
कुछ आपस में किसी बात पे हंसते हुए,
रविवार हाट की रोड पे लगी दुकानें,
जहां एक असहाय पिता अपने बच्चों को
ठंड से बचने का सामान दिला रहा है,
दुकानदार भी प्रसन्न है, बच्चों के लिए ये संतोष है,
न्यू मार्केट में इतनी संख्या में लोग उपस्थित नहीं है,
कुछ लोग अपने घर परिवार के साथ
मनाली और कश्मीर का भ्रमण कर रहें है,
जीवन चल रहा है,
कुछ महिलाएं कांच
से झांकते महंगे लहंगों को देख के लालसा रहीं है,
चमड़े के बटुए झांकते हुए,
कोई उनको अपने जीवन
का अंग बना ले...
इस स्थान से मुक्त कर दे,एक युवक अपनी माता
के साथ ठंड में आइसक्रीम
का आनंद लेता हुआ,
जीवन चलता हुआ,रुकता हुआ,
कुछ किनारे पे मेंहदी लगाने का सामान
लिए बैठ युवक, कुछ महिलाएं...
छोटी बड़ी बैर और हरा चना लिए
बैठी महिलाएं...
सामान खरीदती...
कुछ टहलती...
युवतियां, कुछ युगल जोड़े...
जीवन चलता रुकता...

© ©Farah Naseem