नव वर्ष...रात्रि...
दिसंबर की आखरी रात्रि
रास्ते भीड़ भाड़ से
पूर्ण भी अपूर्ण भी,
जीवन की एक और परिधि
की ओर बढ़ते हुए,
ताजुल मस्जिद की पीछे की असंख्य सीढ़ियों
पे बैठे हुए युवा,
कुछ बात करते,
कुछ अकेले,
कुछ आपस में किसी बात पे हंसते हुए,
रविवार हाट की रोड पे लगी दुकानें,
जहां एक असहाय पिता अपने बच्चों को
ठंड से बचने का सामान दिला रहा है,
दुकानदार भी प्रसन्न है, बच्चों के लिए ये संतोष है,...
रास्ते भीड़ भाड़ से
पूर्ण भी अपूर्ण भी,
जीवन की एक और परिधि
की ओर बढ़ते हुए,
ताजुल मस्जिद की पीछे की असंख्य सीढ़ियों
पे बैठे हुए युवा,
कुछ बात करते,
कुछ अकेले,
कुछ आपस में किसी बात पे हंसते हुए,
रविवार हाट की रोड पे लगी दुकानें,
जहां एक असहाय पिता अपने बच्चों को
ठंड से बचने का सामान दिला रहा है,
दुकानदार भी प्रसन्न है, बच्चों के लिए ये संतोष है,...