ग़ज़ल
वहाँ से रौशनी की इक नदी निकलती है
जहाँ जहाँ से तेरी पालकी निकलती है
मेरे नसीब में तू इस तरह निकल आए
किसी ग़रीब की ज्यूँ लॉटरी निकलती है
किसी के साथ...
जहाँ जहाँ से तेरी पालकी निकलती है
मेरे नसीब में तू इस तरह निकल आए
किसी ग़रीब की ज्यूँ लॉटरी निकलती है
किसी के साथ...