...

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मौत मुझे जब आवाज़ देगी
ये साँसें जब टूट जायेंगी
ये ज़िंदगी मुझसे रूठ जायेगी
मौत मुझे जब आवाज़ देगी
एक क्षण की भी न मोहलत देगी
तब मैं कुछ भी न कर पाऊँगा
गहरी नींद में सो जाऊँगा
गम का इक माहौल मेरे परिवार मे
छा जाएगा नहीं रहेगा कोई गिला
शिकवा मुझसे किसी को
मेरी गलतियाँ भी सब भूल जाएंगे
याद करके मुझे आँसू बहाएंगे
जो बात नही करते मुझसे
वो भी मुझे अब आवाज़ लगाएंगे
लेकिन मेैं कुछ भी न सुन पाऊँगा
मौत मुझे जब आवाज़ देगी
गहरी नींद में सो जाऊंगा।।

दूर दूर से मिलने मुझसे लोग आयेंगे
एक दूसरे को दिलासा देंगें
बैठ कर सिरहाने मेरे विलाप करेंगे
रो_रो कर सब बेहाल होंगें
लेकिन मैं कुछ भी न कह पाऊंगा
मौत मुझे जब आवाज़ देगी
गहरी नींद में सो जाऊँगा ।।

इस दुनिया का दस्तूर यही है जीते जी कोई साथ नही देता मरने पर सब साथ खड़े हैं
मंज़र ये इन आँखों से मैं न देख पाऊंगा
मौत मुझे जब आवाज़ देगी
गहरी नींद में सो जाऊंगा
इस दुनिया से ओझल हो जाऊंगा।।






© K. Ansari