...

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ज़िन्दगी में जो सोचो
ज़िन्दगी में जो सोचो हमेशा वो मिलता तो नही
दुनिया का हिसाब अपने तरीके से तो चलता नही

होगी इस वक़्त की भी तो भला कोई मजबूरी
वरना तन्हाई का इश्क़ इस क़दर मिलता तो नही

बिन मंज़िल के ही यू सूखे पत्ते की तरह हवा के
झोंके से मैं बे वज़ह हर राह पर तो चलता नही

हर दफ़ा मक़ाम के क़रीब आकर भी मैं वरना
मक़ाम से दूरियों बनाकर यू ही गुज़रता तो नही।

© अनिल अरोड़ा "अपूर्व "