...

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हमसफर
जब तक साथ रहना हो मुमकिन
इस कायनात में
फुल कहती है जिसे दुनियां
ओ हमसफर कदमों में तेरे मैं बिखराता चलुंगा
न अफसोस होगा तुम्हें
खुशियों के शिखर पर बिठा प्यार का अपने
अहसास कराता रहूंगा
गांव की गलियां हो कि महलों के शाही सड़क
हर कहीं हर अहसास से तुम्हें मिलाता रहूंगा
हीरों की चमक हो या
चांद का अक्श जमीं पर उतर आए
सब फिके रह जाएंगे
मैं तेरे चेहरे पर वो चमक हर पल लाता रहूंगा
समंदर लहराना भुल जाएगा
जुल्फों में तेरी मैं लहरें ऐसी भरता रहूंगा
इसलिए सिर्फ कि तुम मेरे हमसफ़र हो
माने न माने दुनियां फ़र्क नहीं पड़ता
दिल तो कहता है तुमसे कभी मैं अंजान
रहा नही क्यूं कि तुम तो मेरी जान हो.....।


© सुशील पवार