...

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मैं ऐसा ही ठीक हूँ
हमें कांटे ही पसंद है..
क्यों? बदले दुनिया के वास्ते हम

इन्हीं कांटों के साथ हमें भी
कोई तो होगा जो अपना पाएगा

हाँ ऐसा ही हूँ मैं.. बदलना नहीं मुझे
प्रेम मेें हूँ, कांटों से ही प्रेम है मुझे...
© कृष्णा'प्रेम'