ये सितम भी खूब है
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बेहिसाब जुल्म तो क्या अब ये सितम भी खूब है
काश होता हमें इल्म कि वो जाहिल मेरा महबूब है
ना करते कभी रंजिश, शिकवा और ना कोई शिकायत
मंजूर होता हमें हर परदा और उनकी बेबुनियाद हिदायत
जिस्म से नहीं, अगर होता उन्हें इश्क़ कभी रूह से...
बेहिसाब जुल्म तो क्या अब ये सितम भी खूब है
काश होता हमें इल्म कि वो जाहिल मेरा महबूब है
ना करते कभी रंजिश, शिकवा और ना कोई शिकायत
मंजूर होता हमें हर परदा और उनकी बेबुनियाद हिदायत
जिस्म से नहीं, अगर होता उन्हें इश्क़ कभी रूह से...