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स्वीकार
#स्वीकार
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
मैं रिश्ते जोड़ने में खुद को व्यक्त रखा।
और मेरी आँखों में वो मुहब्बत
के धोखे दिये जा रहे थे।
माना कि हम नहीं समझ पाये
हम उनके इन धोखे को।
हम नादान थे और नादान ही रह गए
अगर -मगर कुछ तो कहा होगा?
उसने स्वीकार कुछ तो किया होगा?
ऐसे ही कहा जुड़ते है रिश्ते
मैं रिश्ते जोड़ने में खुद को व्यक्त रखा।
और मेरी आँखों में वो मुहब्बत
के धोखे दिये जा रहे थे।
माना कि हम नहीं समझ पाये
हम उनके इन धोखे को।
हम नादान थे और नादान ही रह गए
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