कैसा नज़रिया और कैसी समझदारी
अब इस दौर में कहाँ दोस्ती और रिश्तेदारी है
ज़रूरत के लिए है साथ सभी यही दुनियादारी है।
इंसान ही इंसान का उपयोग करने में लगा हुआ है।
ना जाने इस युग में लगी सबको कैसी बीमारी है
मेहनत करना भूल गये सिर्फ़ नतीजों की प्यास है
जहाँ देखों...
ज़रूरत के लिए है साथ सभी यही दुनियादारी है।
इंसान ही इंसान का उपयोग करने में लगा हुआ है।
ना जाने इस युग में लगी सबको कैसी बीमारी है
मेहनत करना भूल गये सिर्फ़ नतीजों की प्यास है
जहाँ देखों...