...

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"सिर्फ एक मां ही जानती है"
हंँसी के पिछे का दर्द जानती है,
झूठ मेरा झट से वो पकड़ती है,
आसूं खुशी के या गम छुपा रहे,
कैसे,सिर्फ़ एक मांँ ही जानती है.!

तबियत नासाज़ या बिगड़ा है मन,
मन से हारा या थका हुआ है तन,
डगमगाते कदमों का सहारा बनना,
कैसे, सिर्फ़ एक मांँ ही जानती है..!

भूख नहीं है या बाहर कुछ खाया,या
जल रही दुनिया की तपिश से काया,
छाया आंचल की कर देती है झट से,
कैसे, सिर्फ़ एक मांँ ही जानती है..!

हर बार मन मायूस होने पर,आज भी
"वो" फोन झट से कैसे कर देती है,
उलाहना दिया है या काम का दबाव,
कैसे, सिर्फ़ एक मांँ ही जानती है..!
#shobhavyas
#writco