...

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अदुखांत
समाज का दवाब है, परिवार का दवाब है
शादी करलो सेटल हो जाओ
तुम्हारे दोस्त पापा बन गये, तुम अभी तक कुँवारा
ऐसा है अपने ऊपर अपनो का दवाब
पर बात मेरी वही है समाज आखिर ऐसा क्यों है
आखिर क्यों हर किसी को अपने जैसा बनाने में लगा है
मेरे दोस्तों ने ऐसे सवाल नहीं उठाये पर मैंनें उठाया
और लोगों ने मुझ पे सवाल उठा दिये

ऐसा हमारा समाज है शादी करो और बच्चे करो तभी मर्द हो
नहीं तो तुम्हारा जीवन ही व्यर्थ है
ऐसा अधिकांश लोगो की जीवन मूल भूत सिद्धांत है

हम जिसे दुनिया कहते है
कभी कभी लगता है
कि ये दुनियावाले
अपने मजा के लिए
दुसरे की खूब मजा लेते हैं

और ये हो रहा क्योंकि उनका ये दुर्भाग्य है
क्योंकि जीवन में, जीवन के प्रति अबोध हैं
भविष्य की चिंता में रहते हैं
फिर भी कुशल प्रबंधक नहीं हो पाते हैं
भोगी बनकर इस संसार को नरक बना दिया
और परिवार बनाकर स्वर्ग बनाने की बात करते हैं