...

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मन से मन का नाता
मन से मन के बंधन को, ये मन ही समझ पाया है
जो इन दूरियों में भी, हर पल नजदीकियों का अहसास पाया है

हां कुछ हालात ऐसे है, जो हमने एक दूसरे से नजर चुराया है
ये तो बस मन ही जानता है, जो एक पल लिए भी तुझे भूल न पाया है

वैसे तो ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं
पर जब तक चलेगी सांसे हमारी, मित्रता में बस मन से मन का नाता है

जीवन का अभिन्न अंग बनकर भी, तूने मुझे अकेले रहना सिखाया है
बड़ी खुशकिस्मत हूं मैं, जो तेरा जैसा दोस्त मैने पाया है

दोस्ती में केवल स्नेह श्रेष्ठ है, नफ़रत का ना कोई नाता है
ये बात अलग है, कोई दोस्ती को छुपाता है तो कोई जताता है

रहना हमेशा खुश मेरे दोस्त, जरूर तेरा मेरा पिछले जन्म का कोई नाता है
दूर तलक ना देख पाओगे मुझे, बस मन से मन का नाता है

जब जब मुझे अहसास होता है, कोई तो मुझे पुकारा है
वो कोई और नहीं दुआओं में हमने मन से मन को पुकारा है

शब्दों का विराम है अभी, मन से मन का नाता है
लाख कोशिशों के बाद भी, जो तुम्हें भूल नहीं पाता है

हां मन से मन का नाता है, तेरी दोस्ती के बिना मेरी खुशियां भी आधा है...
© 💥A. Suryavanshi💥