...

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मन से मन का नाता
मन से मन के बंधन को, ये मन ही समझ पाया है
जो इन दूरियों में भी, हर पल नजदीकियों का अहसास पाया है

हां कुछ हालात ऐसे है, जो हमने एक दूसरे से नजर चुराया है
ये तो बस मन ही जानता है, जो एक पल लिए भी तुझे भूल न पाया है

वैसे तो ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं
पर जब तक चलेगी सांसे हमारी, मित्रता में बस मन से मन का नाता है

जीवन का अभिन्न अंग बनकर भी, तूने मुझे अकेले रहना सिखाया है...