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वो बैठा रहा...❤️❤️✍️✍️( गजल)
वो बैठा रहा एक बात पकड़ करके
हम थक चुके हैं उससे लड़ करके

हम तन्हा अकेले जी लेंगे जिंदगी
चलो वो खुश तो है आगे बढ करके

वो चला ही गया छोड़ कर 'सत्या'
क्या फायदा हुआ माथा रगड़ करके

कौन सहेगा ये नाराजगी उसकी
वो हमसे बोलता है सिर चढ़ करके

हम तरस जाते हैं एक एक बूंद को
मगर मेघ रह जाते हैं घुमड़ करके

वो बसा ले अपनी जिंदगी कहीं
मैं तो बहुत खुश हूं उजड़ करके

मोहब्बत क्या है लोग जाने नहीं
डिग्रियां इकट्ठी कर लीं पढ़ करके


© Shaayar Satya