...

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"यादें"
इन गलियों में वापस आने की चाहत जताती हूं ...
जहां से मेरे बचपन की यादें जुड़ जाती हो ।
ऊंचाईयों के सपने देखे थे जहां से ....
छूटते कुछ अपने देखे थे जहां से ,
जहां से आसमान के सितारों से बातें हुआ करती थी ....
अपनी भी एक सपनो की नगरी हुआ करती...