...

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कारवां
जब हम साथ रहेंगें, बातें तो फिर कुछ होंगी
कुछ खट्टी, कुछ मीठी, कुछ प्यार कुछ तकरार भरी
गर कभी मैं जो रूठूँ, अपने बालपन से मुझको मना लेना
नम हो जो आंखें कभी तेरी, सीने से फ़िर मैं तुझको लू लगा
ज़िंदगी की कारवां अपनी कुछ यूँही बढ़ेगी
पन्नो को बस तू पलटते रहना
कभी धूप, कभी छाओं आएंगी
फिर तो कुछ यादें, कुछ बातें बनेंगी.
© LivingSpirit