...

5 views

दुःस्वपन
गर कह दिया दुःस्वपन अपना तो मुक्त हो जाऊंगी
डर को डरा कर हीं तो मैं इस से जीत पाऊंगी
क्या हुआ जो इस आसमां के तारे नहीं गिन पाऊंगी
मात्र इस कारण से मैं क्या अंधेरे में डूब जाऊंगी?
ना, नहीं! बिल्कुल नहीं. मैं फिर स्वप्न सजाऊंगी
एक ना एक दिन अपने हिस्से का चांद ढूंढ लाऊंगी
© Ranjana Shrivastava
#ranjanashrivastava#Writco#poetry #quote
#Dipakshankerjorwal #thepoetichouse
#tikhar#शब्दहारहिंदीमंच#Kmuniti#हिंदीमंडली