दुःस्वपन
गर कह दिया दुःस्वपन अपना तो मुक्त हो जाऊंगी
डर को डरा कर हीं तो मैं इस से जीत पाऊंगी
क्या हुआ जो इस आसमां के तारे नहीं गिन पाऊंगी
मात्र...
डर को डरा कर हीं तो मैं इस से जीत पाऊंगी
क्या हुआ जो इस आसमां के तारे नहीं गिन पाऊंगी
मात्र...