मेंहदी की खुशबू
आज फिर प्रेम गीत गुनगुनाने को जी चाहता है
इश्क़ की थाप पे थिरक जाने को जी चाहता है,
बन के झूमर, तेरे माथे पे इतराने को जी चाहता है
बन के गजरा तेरे जूड़े पे सज जाने को जी चाहता है,
गजरे के फूलों की तरह, बिखर जाने को जी चाहता है
बिखर के फिर सिमट जाने को जी चाहता है,
बन के मेंहदी तेरे हाथों में, रच जाने को जी चाहता है
मेंहदी की खुशबू की तरह, तुझमें बस जाने को जी चाहता है,
आज की रात बहक जाने को जी चाहता है
बहक कर, रूह में उतर जाने को जी चाहता है
बहक कर, तेरी रूह में उतर जाने को जी चाहता है
तेरी रूह में उतर जाने को जी चाहता है .... .
~Imran Khan
© All Rights Reserved
इश्क़ की थाप पे थिरक जाने को जी चाहता है,
बन के झूमर, तेरे माथे पे इतराने को जी चाहता है
बन के गजरा तेरे जूड़े पे सज जाने को जी चाहता है,
गजरे के फूलों की तरह, बिखर जाने को जी चाहता है
बिखर के फिर सिमट जाने को जी चाहता है,
बन के मेंहदी तेरे हाथों में, रच जाने को जी चाहता है
मेंहदी की खुशबू की तरह, तुझमें बस जाने को जी चाहता है,
आज की रात बहक जाने को जी चाहता है
बहक कर, रूह में उतर जाने को जी चाहता है
बहक कर, तेरी रूह में उतर जाने को जी चाहता है
तेरी रूह में उतर जाने को जी चाहता है .... .
~Imran Khan
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