...

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मोहब्बत ही जिया है
मोहब्बत के अफसाने बहुत है मगर
मेरी मोहब्बत सी मोहब्बत किसने किया है।

वो सूखे ग़ुलाब की पंखुड़ियों में जीते लम्हें
महकाती है एक उम्र जीसने काँटे भी दिया है।

अतीत के पन्नों में छिपी एक अपनी ही दुनिया
कुछ अधूरे ख़्वाब और अल्हड़ नादानियाँ।

वो कागज़ की कश्ती और अश्क़ों की दरिया
वो झूठे-मूठे ही रूठ जाने वाली मनमानियां।

यहां हर तिश्नगी ने जिंन्दगी से जी भर पिया है
हाँ किया है मोहब्बत और मोहब्बत ही जीया है।

#parasd #मोहब्बत
© paras