...

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आई नवरात्रि की बेला है
घोर कलयुग की निद्रा से जागा फिर एक बार अंधेरा है,
छाया जग पर ज्ञान का उजियारा,
आई नवरात्रि की बेला है।
धैर्य व निष्ठा का अमर स्वरूप,

माँ शैलपुत्री का धर कर रूप,
धरती पर माँ की महिमा का मेला है,
आई नवरात्रि की बेला है।

माँ ब्रह्मचारिणी है सद्गुण की मूरत,
उनके चरणों में है सुख शांति की सूरत,
सुनाता उनके समर्पण की गाथा,
ये सांझ और सवेरा है,
आई नवरात्रि की बेला है।

घंटे की ध्वनि में
गूंजता माँ चंद्रघंटा का बल है,
रण में शत्रु...