...

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इश्क़ इंतज़ार है
#इंतज़ार


तेरा इंतज़ार करते-करते
दिन बीतें, रात गुजरी ,
गुज़रे सालों- साल
न तुम आई , न तुम्हारी यादें आई
बस बेजुबान बारिश की बूंदें...
थोड़ा प्यार जता गयीं ।

पता है, इश्क़ इंतज़ार है
तड़पता है, जलाता है, रूलाता है
हद से ज्यादा इन्तेहा लेता है
दिल की गुस्ताखियां पढ़-पढ़कर ,
मन की नादानियां लिख-लिखकर
हर दफा उत्सुकता जो बढ़ाता है ।

मिलना है, ऋतुओं के संग
बहते झरनों के बहाव तक
तैरते हुए तुम्हें देखना हैं
सांसों की गहराईयों को छूकर
आंखों की परतें खोलकर ,
यकिनन तुम्हें देखना है।

मिटानी है, हर पल, हर घड़ी
बरसों की ये सख़्त दूरियां
परस्पर मृदु आलिंगन से
भावनात्मक गले लगाकर ,
तन-मन-धन तुम्हें सौंपकर
अंतःकरण से तुम्हें पाना हैं ।

© -© Shekhar Kharadi
तिथि-१६/५/२०२२, मई