...

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कांटे भी..
कांटे भी कमल हो जायेंगे
हर्फ़ सब गजल हो जायेंगे

अधूरे से है अभी तुम्हारे बिना
तुमसे मिलके मुक़म्मल हो जायेंगे

रूह बेजान है जिस्म बेजान है
खुद से देख दिल अनजान है

तुम हो गए मेरे अगर चाहत यही
पूरी बस अब कर जायेंगे

रूह यही रह जाएगी जिस्म लेगा विदा
इस खंडहर को ताजमहल कर जायेंगे.
© Rashmi Garg