...

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आई होली
देखो- देखो-देखो रे आई है होली,
प्रेम के रंगों से भर रही है झोली।
उड़त गुलाल और भाग रहे हैं होरी ,
अरे !खूब भाए सबको फागुन की होली।

राधे कृष्ण की प्रतीक है यह होली ,
उनके समर्पण की गीत है यह होली ,
भक्ति और श्रृंगार की रीत है यह होली ,
अरे !देखो-रे-देखो आई है होली ।

हंसी-ठिठोली और कान्हा की लीलाएं हैं, गीत के संग तो मन डोल जाए हैं।
व्यंजनों के सुगंध से जी भर आता है ,
ठंडाई तो तन -मन को ,
झंकृत करता जाता है ।

कुंज- कुंज में फाग गायन,
भक्ति और रास है।
वाकई यहां की लस्सी ,
की स्वाद लाजवाब है।
गर्म जलेबी और पुआ पकवान,
मथुरा- वृंदावन और क्या करूं बखान।

इस होली में इंसानियत जगाओ,
अपने विकारों को तिरोहित करते जाओ ।
क्रोध, दाह व विद्वेष होलिका के समान है,
इन को नष्ट करना ही होली का ज्ञान है।

© श्रीहरि