सारांश _नग्न कागज की वैश्या _सामाज।। जो मेल में ना हो।।भाग-१
❤️ भूख और उम्मीद नींद ❤️
वो दौर कौन सा था,
जब किताबें पढ़ी जाती थी,
क्योंकि जब से होश संभाला है,
तब से बस मैं जाग रहा हूं,
जाग रहा हूं मैं मगर सो ही तो रहा था,
सो रहा मैं भूख में नींद की नींद हरम में,
और सो रहा है ये जनाजा मेरा और तेरा,
मगर मै भूख और तूं नींद अभी सोई तो मगरऔर -सो कर फिर और सोकर कहा जाकर खोई कहा,
मगर मै भूख और तू क्या और हम सोए कहा,
मगर मै अभी सोया कहा _ना तुझे सोने दिया,
मगर मै अभी सोया कहा _ना तुम्हें सोने दिया,
मगर ये भी मुकर्रर अभी अभी ना हुआ कहा,
हां नाजायज...
वो दौर कौन सा था,
जब किताबें पढ़ी जाती थी,
क्योंकि जब से होश संभाला है,
तब से बस मैं जाग रहा हूं,
जाग रहा हूं मैं मगर सो ही तो रहा था,
सो रहा मैं भूख में नींद की नींद हरम में,
और सो रहा है ये जनाजा मेरा और तेरा,
मगर मै भूख और तूं नींद अभी सोई तो मगरऔर -सो कर फिर और सोकर कहा जाकर खोई कहा,
मगर मै भूख और तू क्या और हम सोए कहा,
मगर मै अभी सोया कहा _ना तुझे सोने दिया,
मगर मै अभी सोया कहा _ना तुम्हें सोने दिया,
मगर ये भी मुकर्रर अभी अभी ना हुआ कहा,
हां नाजायज...