मैं
मैं सबके दिए हुए दर्द-ए-दिलों का शज़र हो रहा हूं
एक छोटा सा, दुबका हुआ गमगीन शहर हो रहा हूं
जो करते थे पाने की हरवक्त फरियाद मुझको
अब न जाने क्यों मैं उनके ऊपर ही कहर हो रहा हूं
मुझको समझाते थे सब,कहते थे ऐसा न कर
न...
एक छोटा सा, दुबका हुआ गमगीन शहर हो रहा हूं
जो करते थे पाने की हरवक्त फरियाद मुझको
अब न जाने क्यों मैं उनके ऊपर ही कहर हो रहा हूं
मुझको समझाते थे सब,कहते थे ऐसा न कर
न...