...

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कोठा!
कोठा!

हर एक तरह के लोग आते है यहां...
जाम से जाम टकराते है यहां...
होती है नुमाइश बेख़ौफ़ जिस्म की यहां...
औरत के अस्तित्व को दाग दाग करते है यहां.

यहां जसबतों से खिलवाड़ होता है...
एक औरत के विश्वास का बलात्कार होता है...
होती है चंद रूपयों में कीमत उसके जिस्म की...
यहां पर तो उसकी आत्मा के साथ विश्वासघात होता है.

कुछ वक्त के मारे अपनी मजबूरियों में यहां आजाते है...
तो किसी को...