...

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यादों की महफ़िल...!!

ता- हद - ए- नजर दिख रही है काफी शोकोशोहनत, हर कोई महफिल में देने को कुछ न कुछ हैं नया लाया......!!

और मुझे देख मेरा बेवफाह महबूब बोला बगल में किसी को, देखो फिर से वह लाचार आया.....!!

यहां- वहां सब जगह ढूंढा मैंने खुशी का जरिया, महफ़िल में हर तरफ बस मुझे गम ही नजर आया....!!

और उसकी महफिल में होते रहे हमारे प्यार के झूठे चर्चे , बस पैगाम में मेरे नाम जहर ही आया.....!!

आज एहसास हुआ कि गलतफहमी में रह गए थे मेरे सपने , इस तरह वो करीब आकर वह मुझे तोड़ गया, खुदा कसम, जुल्म में उसका कहीं नाम तक ना आया ......!!

शातिर ...भी था थोड़ा दिल उसका और दगाबाज भी निकला, तारीफ तो करता था हर रोज़ मेरे सामने, आज दिखा सब मुझे की क्यों? कभी उसके लफ्जों में...