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शायद! मुझे प्यार हुआ है
चांद का अक्स आज और भी खूबसूरत लगा
जब हाथ थाम कर तुम्हारा
दूर कही झील किनारे
टहलते हुए भोर हो गई
झील में टिमटिमाते तारों का अक्स
और तुम्हारी यह आंखें
जैसे मैं बहक गया
कुछ समझ नही आया
आज झील में दो चांद के दीदार किए मैने
उस चांद से बातें की मैने
क्यों बेचैन करते हो यूं
रातों में आकर
सांसे थम जाती है मेरी
जब वो साथ नही होती
उसका नाम लेते लेते
किसी दिन मेरी सांसे ही ना थम जाए
पता नही क्या हुआ है मुझे
शायद! मुझे प्यार हुआ है
© richwriter08
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