मेरी कहानी
कोई हर रोज उतरता है मेरी कल्पनाओं से मेरे लफ़्ज़ों में ,
और मैं दे देतीं हूं उसे एक शायरी का नाम ।
अनजान सा चेहरा हर दिन देता है एक प्रेरना लिखने की ,
और उसे लिखे बिना हम भी रहतें हैं बे - आराम।
बात तो यूं है कि देखा नहीं आज तक हमने उसे ,
फिर भी खुलीं आंखों से देखतें हैं उनका ख्वाब ।
रब ने चाहा तो जरूर मिलेगा वो हकीकत में भी हमें ,
वरना रूहों के रिश्ते भी कभी टूटतें हैं जनाब ।
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और मैं दे देतीं हूं उसे एक शायरी का नाम ।
अनजान सा चेहरा हर दिन देता है एक प्रेरना लिखने की ,
और उसे लिखे बिना हम भी रहतें हैं बे - आराम।
बात तो यूं है कि देखा नहीं आज तक हमने उसे ,
फिर भी खुलीं आंखों से देखतें हैं उनका ख्वाब ।
रब ने चाहा तो जरूर मिलेगा वो हकीकत में भी हमें ,
वरना रूहों के रिश्ते भी कभी टूटतें हैं जनाब ।
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