सफर
यह सफर भी कुछ अजीब है
कभी शाम है कभी रात है कभी दिन की ये शुरुवात है,
कभी दर्द की बरसात है कभी रोशनी के पनाहों में।
ये क्या पता अब होना है?
कभी जीवन की इक नयी शुरुवात है
कभी लोगों की इस भीड़ में सब लगते है अपने से,
...
कभी शाम है कभी रात है कभी दिन की ये शुरुवात है,
कभी दर्द की बरसात है कभी रोशनी के पनाहों में।
ये क्या पता अब होना है?
कभी जीवन की इक नयी शुरुवात है
कभी लोगों की इस भीड़ में सब लगते है अपने से,
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