...

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नींद
जब भी मैं पढ़ने बैठता हूं ,
बस एक ही पेज पढ़ पाता हूं ,
ज्यों ही दूसरे पेज की बारी आती
आंखे बार-बार बंद हो हो जाती
बस नींद मुझको बहुत आती ||

तकिया मुझको पुकारने लगता,
ख़्यालो में भी पेपर आने लगता,
किताब हाथों से सरकने लगती,
फिर जहऩ में एक बात आती,
रात में केवल मुझे ही नींद आती,कि सबको आती||

मुझे लगा यह केवल मुझको ही आती,
ये नींद क्या ? मित्रों तुमको भी आती.!
तब मेरे यारों ने मुझको बतलाया,
यह केवल तुमको ही नहीं आती,
यह नींद है साहब सब को बहुत आती ||

फिर सब ने मिलकर एक गोष्टी बनाई,
नींद से रिहाई पाने को एक प्रबंध किया,
एग्जाम तो अब सब के नजदीक ही आए,
तो ब्रू कॉफी ही नींद भगाए,
यह नींद है साहब हमको भी बहुत आए ||

अब तो ब्रू कॉफी भी काम ना आई,
अब साथियों को बहुत चिंता सताई,
फिर दरवाजे से एक आहट आई,
तब मेरी मां के चांटे ने मेरी नींद भगाई,
जो नींद है साहब हमको फिर नहीं आई......

✒गिरेन्द्र प्रताप सिंह


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