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हिन्दुस्तान को जगाओ
#विधा:-छंदमुक्त कविता
#दिनांक:-13/8/2024
#शीर्षक:- हिन्दुस्तान को जगाओ।

हम कुम्भ की भाँति सो रहे हैं,
बाहरी आकर हमें टटोल रहे हैं,
हम खुशी का सपना देख रहे हैं,
बाहरी कारोबार को बटोर रहे हैं,
हम हिन्दू हिन्दी में खुश हो रहे हैं!
बाहरी हिन्दुस्तान को लपेट रहे हैं।
हम मात्र दो बच्चों में बस कर रहे हैं,
वो अनेक,आगामी लेकर डोल रहे हैं।

क्या तुम्हें ,भविष्य की चिंता नहीं है??
चेतो वंशज का अस्तित्व खत्म...