डर अब इस बात का है कि, भूल ना जाए ख्यालों को।
#डिजिटलअनुगूंज
डर अब इस बात का है कि, भूल ना जाए ख्यालों को।
पहले हमको सब कुछ संजोकर, रखना पड़ता ख्यालों में।
डर सताता ख्यालों का हमको, कहीं भूल ना जाएं उन लम्हों को।
जब से हमारी हुई है दोस्ती, डिजिटल परिवार के बच्चों से।
सारी चिंताएं ताख...
डर अब इस बात का है कि, भूल ना जाए ख्यालों को।
पहले हमको सब कुछ संजोकर, रखना पड़ता ख्यालों में।
डर सताता ख्यालों का हमको, कहीं भूल ना जाएं उन लम्हों को।
जब से हमारी हुई है दोस्ती, डिजिटल परिवार के बच्चों से।
सारी चिंताएं ताख...