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बारिश
आज अचानक आने वाली बारिश,
लेकर आई मेरे दिल में उससे मिलने की ख्वाहिश।
महक उठी धरती उसके इत्र से,
बहने लगी हवा आठों तरफ से।
खिल गया मौसम उसकी मुस्कुराहट की तरह,
घूम रहा हूं; मैं पाने को उसकी पनाह।
छा गई घटा,
देख ये; याद आई मुझे उसकी काली जटा,
लग रही है बारिश की बूंदे उसके गीले बालो का पानी,
और कड़कड़ाती बिजली जैसे उसकी बोली हुई वाणी।
हो रहा है ये सब जैसे किसी की हो साजिश,
जैसे किसीने की हो शिफारिश।
© Rohit Gotmare
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