...

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मैं और मेरा सफर
बहुत कुछ सीखा है ज़िन्दगी से,
बहुत इम्तहान भी दियें है ,
टूट टूट कर मज़बूत बना हूँ,
यूँही नही अकेला खड़ा हूँ,
इतना पता है मुझे ,
बस रब साथ हैं मेरे...

लगता होगा ज़माने को राह गलत है मेरी,
पर ज़माने का क्या है ,
ज़िन्दगी मेरी है पता है मुझे,
मैंने क्या और क्यों किया है,
गलत राह पर भी उसूलों के साथ चला हूँ
गलतियां हो सकती हैं मुझसे भी,
पर किसी का इस्तमाल कर के कहाँ
कभी आगे बढ़ा हूँ,
जिसके भी साथ रहा हूँ दिल से जुड़ा हूँ,
जो सही नही लगा उससे दूर होता गया हूँ,
जिसने जैसा सोचा उसको मैं वैसा मिला हूँ।


© a mad writer