विडंबना और दर्द
हुआ जो भंगुर, सीसे का प्याला,
क्या फिर से जुड़ पाता है,
गुजर गया दुनिया से जो,
क्या कभी लौट के आता है,
टूटे प्याले का, मदिरालय
क्या कोई शोक मनाता है,
तू भी क्यूं उसके गम में
यूं सच्चाई ठुकराता है,
वक्त बिताया इस दुनिया...
क्या फिर से जुड़ पाता है,
गुजर गया दुनिया से जो,
क्या कभी लौट के आता है,
टूटे प्याले का, मदिरालय
क्या कोई शोक मनाता है,
तू भी क्यूं उसके गम में
यूं सच्चाई ठुकराता है,
वक्त बिताया इस दुनिया...