केवट
ऐसा भाग्य कहां किसी ने पाया होगा,
धोकर कमलवत चरणों को,
जल मस्तक पर लगाया होगा,
स्वयं को भाग्यवान बताया होगा,
जब प्रभु के चरणों को धोया होगा,
ऐसा भाग्य कहां किसी ने पाया होगा,
प्रभु की सेवा करने का मौका कहां किसी ने पाया होगा,
तप करते-करते निकल जाती है उम्र सारी,
फिर भी नहीं...
धोकर कमलवत चरणों को,
जल मस्तक पर लगाया होगा,
स्वयं को भाग्यवान बताया होगा,
जब प्रभु के चरणों को धोया होगा,
ऐसा भाग्य कहां किसी ने पाया होगा,
प्रभु की सेवा करने का मौका कहां किसी ने पाया होगा,
तप करते-करते निकल जाती है उम्र सारी,
फिर भी नहीं...